Huzoor ﷺ ki Khususiyat 03
अक़ीदा :- हुजूर ﷺ जैसा किसी का होना मुहाल है। हुजूर ﷺ की ख़ास सिफ़तों में अगर कोई किसी को हुजूर ﷺ का मिस्ल बताए वह गुमराह या काफ़िर है।
अकीदा :- हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को अल्लाह तआला ने "महबूबियते कुबरा” का मरतबा दिया है। यहाँ तक कि तमाम मखलूक मौला की रजा चाहती है और अल्लाह तआला हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की रज़ा चाहता है।
अकीदा :- हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के ख़साइस में से एक ख़ास बात यह भी है कि उन्हें मेराज हुई। हुजूर अलैहिस्सलाम अपने जाहिरी जिस्म के साथ मस्जिदे हराम से मस्जिदे अकसा और वहाँ से सातों आसमानों कुर्सी और अर्श तक बल्कि अर्श से भी ऊपर रात के एक थोड़े से हिस्से में तशरीफ़ ले गए और उन्हें वह ख़ास कुरबत हासिल हुई जो कभी भी न किसी बशर को हुई और न किसी फरिश्ते को मिली और न ऐसी कुरबत किसी को मिल सकती है।
हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने अल्लाह का जमाल अपने सर की आँखों से देखा और अल्लाह का कलाम बिना किसी जरिए के सुना और जमीन व आसमान के हर ज़र्रे को तफ़सील से देखा। पहले और बाद की सारी मखलूक हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की मुहताज और न्याजमन्द है यहाँ तक कि हज़रते इब्राहीम खलीलुल्लाह अलैहिस्सलाम भी।
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