Huzoor ﷺ ki Khususiyat 04
अकीदा :- कियामत के दिन शफाअते कुबरा का मरतबा हुजूर ﷺ के ख़साइस में से एक .खुसूसियत है कि जब तक हुजूर ﷺ शफ़ाअत का दरवाजा नहीं खोलेंगे किसी को शफाअत की मजाल न होगी बल्कि जितने भी शफाअत करने वाले होंगे हुजूर ﷺ के दरबार में शफ़ाअत लायेंगे और अल्लाह के दरबार में हुजूर ﷺ ही शफ़ीअ (शफ़ाअत करने वाले) हैं। और हुजूर ﷺ की यह “शफाअते कुबरा" मोमिन, काफ़िर, फ़रमाबरदारी करने वाले और गुनाहगार सबके लिए है क्यूँकि वह हिसाब किताब का इन्तेज़ार जो बहुत सख़्त जान लेवा होगा जिसके लिए लोग तमन्नायें करेंगे कि काश जहन्नम में फेंक दिए जाते और इस इन्तेज़ार से नजात मिल जाती, इस बला से छुटकारा काफ़िरों को भी हुजूर ﷺ की वजह से मिलेगा जिस पर पहले के बाद के मुवाफ़िक मुख़ालिफ़ मोमिन और काफ़िर सब लोग हुजूर ﷺ की हम्द (तारीफ़) करेंगे। इसी का नाम मकामे महमूद है।
शफ़ाअत की और भी किस्में हैं जैसे यह कि हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम बहुतों को बिना हिसाब जन्नत में दाखिल करायेंगे। जिनमें चार अरब नब्बे करोड़ की गिनती का पता है बल्कि और भी ज्यादा हैं जिन्हें अल्लाह जानता है और अल्लाह तआला के प्यारे रसूल हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम जानते हैं।
बहुत से वह लोग होंगे जिनका हिसाब हो चुका है और जहन्नम के लाइक हो चुके, उनको हुजूर ﷺ दोज़ख़ से बचायेंगे। और ऐसे लोग भी होंगे जिनकी शफाअत करके जहन्नम से निकालेंगे। हुजूर ﷺ की शफ़ाअत से कुछ लोगों के दर्जे बलन्द किए जायेंगे और ऐसे भी होंगे जिनका अज़ाब हल्का किया जाएगा।
शफ़ाअत चाहे हुजूर ﷺ ख़ुद फ़रमायें या किसी दूसरे को शफाअत की इजाज़त दें हर तरह की शफाअत हुजूर ﷺ सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के लिए साबित है। हुजूर ﷺ की किसी किस्म की शफाअत का इन्कार करना गुमराही है।
Huzur ki jaise khususiat hai.wo piche bhi dekhte hain jaise aage .kya ye khususiat aur bhi ambiya ko mili hai
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