Chand ke do tukde

 ​चाँद दो टुकड़े हो गया​ 

       रिवायतों में सबसे ज़्यादा सही और मुस्तनद हज़रते अब्दुल्लाह बिन मसऊद रदियल्लाहु तआला अन्हु की रिवायत है की जो बुखारी व मुस्लिम व तिर्मिज़ी वगैरह में मज़कूर है ! हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद रदियल्लाहु तआला अन्हु मौका पर मौजूद थे और उन्होंने इस मुअजिज़ा को अपनी आँखो से देखा ! ​उनका बयान है कि~​

​​हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम​ के ज़माने में चांद दो टुकड़े हो गया ! एक टुकड़ा पहाड़ के ऊपर और एक टुकड़ा पहाड़ के नीचे नज़र आ रहा था ! आपने कुफ्फार को ये मंज़र दिखा कर उनसे इरशाद फ़रमाया की गवाह हो जाओ, गवाह हो जाओ !​

​( बुखारी शरीफ़, जिल्द 2, सफा 721) 

🖋आला हज़रत फरमाते है~
​सूरज उलटे पाँव पलटे,​
​चाँद इशारे से हो चाक !​
​अंधे नजदी देख ले,​ 
​कुदरत रसुलुल्लाह की !!​

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