Darood Sharif ki Fazilat

Darood Sharif ki Fazilat

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दुरुद शरीफ़ की फ़ज़ीलत हिन्दी में 
एक दीन जिब्रीले अमीन हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वस्सलम की ख़िदमत में हाज़िर हुवे और कहा :- मैं ने आस्मानों पर एक ऐसा फ़रिश्ता देखा जो तख़्त नशीन था और सत्तर हज़ार फ़िरिश्ते सफ़ बस्ता उस की ख़िदमत में हाज़िर थे, उस के हर सांस से अल्लाह तआला एक फ़िरिश्ता पैदा फ़रमाता हैं , अभी अभी मैं ने उसे शिकस्ता परों के साथ कोहे काफ़ में रोते हुवे देखा है , जब उस ने मुझे देख़ा तो कहा तुम अल्लाह तआला के हुजूर मेरी सिफ़ारिश करो | मैं ने पूछा तेरा जुर्म क्या है ? उस ने कहा :- मे'राज की रात जब मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वस्सलम  की सुवारी गुज़री तो मैं तख़्त पर बैठा रहा, ता'जीम के लिये ख़डा नहीं हुवा , इस लिये अल्लाह तआला ने मुझे इस जगह इस अ़ज़ाब में मुब्तला कर दिया है | जिब्रीले अमीने ने कहां :- मैं ने अल्लाह तआला की बारगाह में रो रो कर उस की सिफ़ारिश की, अल्लाह तआला ने मुझ से फ़रमाया :- तुम इस से कहो कि यह मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वस्सलम पर दुरूद भेजे, चुनान्चे , उस फ़रिश्ते ने आप पर दुरुद भेजा तो अल्लाह तआला ने उस की इस लग़जिश को मुआफ़ कर दिया और उस के पर भी पैदा फ़रमा दिये | 

(मुकाशफ़तुल कुलूब) (अल मुकाशफ़तुल कुब्रा)

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Durood Sharif Arabic


اَللّٰھُمَّ صَلِّ عَلٰی مُحَمَّدٍ وَّعَلٰٓی اٰلِ مُحَمَّدٍ کَمَا صَلَّیْتَ عَلٰٓی اِبْرَاھِیْمَ وَعَلٰٓی اٰلِ اِبْرَاھِیْمَ اِنَّکَ حَمِیْدٌ مَّجِیْدٌ اَللّٰھُمَّ بَارِکْ عَلٰی مُحَمَّدٍ وَّعَلٰٓی اٰلِ مُحَمَّدٍ کَمَا بَارَکْتَ عَلٰٓی اِبْرَاھِیْمَ وَعَلٰٓی اٰلِ اِبْرَاھِیْمَ اِنَّکَ حَمِیْدٌ مَّجِیْدٌ


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